सरस्वती कलामंच के दो कलाकार स्तम्भ

सरस्वती कलामंच के दो कलाकार स्तम्भ......
सुशील भृगु एवं परसराम ग़ालिब।
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सुशील भृगु.... श्री रत्तीराम भृगु के पुत्र है। संगीत इन्हें विरासत में मिला है। पिता रत्तीराम जी रेडियो गायक आर्टिस्ट तो थे ही साथ में वे बहुत अच्छे गीतकार भी थे। उनके कई गीत आज भी पूरी तरह से छाये हुए हैं। वो नेता गिरी के भी शौकीन थे और डा0 परमार का सानिध्य प्राप्त था।
आज सुशील भृगु भी उन्हीं की विरासत को गति प्रदान किये हुए हैं।
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परसराम जी ग़ालिब....
ग़ालिब का तखल्लुस इन्हें स्कूल टाइम में ही मिल गया था। एक अचरज ही कहा जाएगा कि जब से दाढ़ी आई है तब से क्लीन शेव नहीं की है। एक तो ग़ालिब की तरह दाढी और ऊपर से गज़लों की गायकी से ये ग़ालिब के नाम से स्कूल में मशहूर हो गये। जब ये ट्रेनिंग ले रहे थे तो गजलें भी गाते थे और शक्ल भी वैसी ही थी इस पर प्रिंसिपल ने कहा कि आप तो वाकई ग़ालिब हैं। हालाँकि ये बहुत अच्छे क्लैर्नेट बजाते थे परन्तु एक तांत्रिक हादसे के बाद इन्होने उसे छोड़ दिया। ये हर महफिल की शान होते हैं और अपने मजाकिया स्वभाव से सभी को खुश रखते हैं।

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