ऐतिहासिक प्रसंग

ये हैं 90 वर्षीय पहाड़िया हेतराम जी जो कि वैद्य सूरतसिंह के साथ उपचिकित्सक हुआ करते थे।
इनके पिता ऐतिहासिक व्यक्तित्व पं मोतीराम पंचड (पितली) निवासी एक जाने माने पंडित थे। उनकी प्रसिद्धि तात्कालीन राजा सिरमौर, अमरप्रकाश तक पहुंची तो उन्होंने बुला कर संतान न होने का कारण जानना चाहा। पं मोतीराम द्वारा अपनी गणना के अनुसार राजा की पीठ पर नाग पाया गया तो उन्होने नागपूजा की और घर आ गए। कुछ महीनों बाद उसे फिर नाहन बुलाया गया। उसने देखा राजा खुश था क्योंकि राजा के घर में पुत्र हुआ था जो बाद में राजा राजेंद्र प्रकाश के नाम से आखिरी राजा साबित हुए। राजा अमर प्रकाश ने कहा पं० मोतीराम हम तुम से बहुत खुश हैं, जागीर मांगो।
मोतीराम ने कहा महाराज मेरे अपनी ही नहीं संभल रही। क्षगा करें महाराज मुझे नहीं चाहिए। चलने लगे तो दो तोले की अंगूठी तो दे ही डाली।
एेसे थे पहले के लोग।
यदि आज के होते तो जागीर के साथ और भी मांगते ।


साभार शेर जंग चोहान 

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