ड्रिफ्टवुड कला को जिन्दगी बनाने वाले ये हैं श्री लक्ष्मीसिंह ठाकुर। ये सुन्दर एवं क्षेत्र के साफ सुथरे गांव टालिया के स्थाई निवासी हैं। कुछ वर्ष पहले इनकी पत्नी इन्हें अकेला छोड भगवान् के घर चली गई थी। अकेलेपन का साथी कोई नहीं था। झ्होंने ड्रिफट वुड कला को अपना मित्र बना कर बेकार पडी वस्तुओं, जडों, टहनियों, सूखे बीजों को सुव्यवस्थित करके कलात्मक रूप देना आरंभ कर दिया। इनके घर में ये कलात्मक वस्तुएं, उचित स्थान पर व्यवस्थित की गई है जिससे घर एक कलादीर्घा में परिवर्तित हो गया है। ये अपने कलासंसार में खोए २हते हैं। ध्यान रहे इनके एक पुत्र बहुत अच्छे काष्ठकलाकार हैं। वो भी इनका हाथ बंटाते रहते हैं।
ये है ड्रिफ्टवुड और काष्ठशिल्प के सामंजस्य से तैयार उनकी एक रचना, उनके साथ।
https://www.facebook.com/sherjang.chauhan
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