कल्पना व सीमा परमार ने एथलीट प्रतियोगिता में किया प्रदेश का नाम रोशन

बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। हर फील्ड में बेटियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर बेटा-बेटी के अंतर को समाप्त कर दिया है। हौंसले अगर बुलंद हो ओर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो क्या बेटे ओर क्या बेटियां। ऐसा ही कुछ सिरमौर की दो बहनों ने साबित कर दिखाया है। सिरमौर की बेटी कल्पना व सीमा परमार ने अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में एक बार फिर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
      37वीं नेशनल मास्टर ऐथलीट फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कर्नाटक के मैसूर में 2 से 6 मार्च तक आयोजित प्रतियोगिता में 1500 मीटर दौड़ में कल्पना परमार ने कांस्य पदक हासिल किया। साथ ही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चलते सिंगापुर में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अपनी जगह पक्की की। उधर, कल्पना परमार की बहन सीमा परमार ने भी जैबलियन थ्रो व शॉट फुट में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया।
        4 मई से 6 मई तक सिगांपुर में होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता के लिए कल्पना परमार 1500 मीटर और 5 हजार मीटर में भाग लेंगी। जबकि सीमा परमार जैबेलियन थ्रो व शॉटफुट में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाएंगी। पच्छाद तहसील की बजगा पंचायत के शामपुर गांव की निवासी कल्पना परमार ने इससे पहले गोवा में 25 अप्रैल से 29 अप्रैल, 2015 में आयोजित 36वीं राष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक अपने नाम किया था। कल्पना की इस जीत व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन किए जाने पर उनके गांव व जिले में खुशी की लहर है।
      यह पहली बार नही है, जब कल्पना ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल और अपने जिले का सिर ऊंचा किया है। वर्ष-2014 में जापान में आयोजित 18वीं एशिया मास्टर एथलैटिक्स चैंपियनशिप में भी कल्पना ने 5000 मीटर में वल्र्ड मास्टर एथलेटिक्स के लिए क्वालीफाई किया था। कल्पना का अगस्त-2015 में फ्रांस में आयोजित वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए भी चयन हुआ था, मगर वह इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकी थी।
      मैसूर में हुई इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपनी सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कल्पना ने बताया कि वो देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहती है। इसके लिए वो लगातार तैयारियां कर रही है। कल्पना परमार कहती है कि मन में दृढ़ विश्वास व जनून हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती।
      कल्पना परमार का खेल इतिहास एथलेटिक्स का नहीं है, बावजूद इसके कल्पना एथलेटिक्स में क्षितिज की ओर अग्रसर है। कल्पना परमार ने कहा कि हॉकी छोडऩे के बाद उन्हें किसी अन्य खेल की दरकार थी, जहां वह अपनी खेल प्रतिभाओं को कायम रख सकें। वर्ष-2013 के दौरान उन्होंने ऐथलेटिक्स में खम ठोकने का मन बनाया और सोलन के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में मास्टर एथलेक्टिस की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके बाद लंबी दौड़ में कल्पना नाम रोशन करती रही।
      इस दौरान राष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के कारण उनका एशिया मास्टर प्रतियोगिता के लिए हुआ। इसके अलावा कल्पना परमार बंगलुरू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की 10 किलोमीटर दौड़ और दिल्ली में 21 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय हॉफ मैराथन में भी हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। कल्पना परमार हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में इतिहास प्रवक्ता के पद पर ब्वॉयज सीनियर सेकंडरी स्कूल सोलन में कार्यरत है। सरकारी सेवा और परिवार की देखभाल के बाद जो समय मिलता उसमें वह प्रतिदिन दौड़ लगाती। 
साभार - http://www.mbmnewsnetwork.com/2016/03/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%AA/

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